मीडिया द्वारा बनाए गए अलग माहौल में देश को उलझाकर सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने वाली बीजेपी सरकार आज सोशल मीडिया की ताकत से भयभीत नजर आ रही है. तथाकथित मुख्य धारा के चैनल और पत्रकारों को अपनी जेब मे समझने वाली बीजेपी सरकार आज मीडिया को अंकुश में रखने की कवायद करने में जुटी है.
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपने अधिकारियों को फरमान जारी किया है कि सक्षम अधिकारियों की इजाजत के बगैर वे मीडिया से बात नहीं करें. मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी कर अपने मातहत आने वाले सभी विभागों के अधिकारियों से कहा है कि वे सक्षम अधिकारियों की अनुमति के बगैर मीडिया से बात करने से परहेज करें.
पिछले महीने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को जारी सर्कुलर में कहा गया, इस मंत्रालय की नजर में यह बात आई है कि मंत्रालय व मीडिया इकाइयों के अधिकारी सक्षम अधिकारी की अनुमति के बगैर मीडिया से बात करते हैं. सर्कुलर में पत्र सूचना कार्यालय पीआईबी की एक नियमावली का भी हवाला दिया गया है जिसमें सरकार की तरफ से मीडिया से बात करने संबंधी दिशानिर्देश हैं.
नियमावली के मुताबिक, सिर्फ मंत्री, सचिव एवं विशेष तौर पर अधिकृत अधिकारी ही मीडिया को सूचना दे सकते हैं या मीडिया के प्रतिनिधियों के लिए उपलब्ध हो सकते हैं. इसमें यह भी कहा गया है, मीडिया का कोई प्रतिनिधि यदि किसी अन्य अधिकारी से संपर्क करता है तो वह उसे पीआईबी से संपर्क करने के लिए कहेगा या मीडियाकर्मियों से मिलने से पहले मंत्रालय/विभाग के मंत्री या सचिव से अनुमति लेगा.
मंत्रालय के तहत आने वाली सभी मीडिया इकाइयों और स्वायत्त संस्थाओं के प्रमुखों को यह सर्कुलर भेजा गया है. सर्कुलर में खास तौर पर बताया गया है कि प्रेस, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया को पीआईबी के जरिये आधिकारिक सूचना दी जानी चाहिए.