एक इंटरव्यू में चिदंबरम ने कहा 2014 में एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग असेट्स) (गैर-निष्पादन परिसंपत्तियों) का स्तर क्या था और आज एनपीए का स्तर क्या है? कई तरह के कर्जे हैं. इनमें से कर्जों की एक श्रेणी 2014 के एनपीए की है.
ऐसा इसलिए है, क्योंकि अर्थव्यवस्था रसातल की ओर चली गई है. इसलिए, उस समय जो परफॉर्मिंग असेट्स थे, वे नॉन परफॉर्मिंग असेट्स में बदल गए हैं. 2014 में एनपीए का स्तर सिर्फ 3 करोड था. बाकी सारे कर्जे बिल्कुल सही ढंग से प्रदर्शन कर रहे थे. इन पर ब्याज दिया जा रहा था, किस्तें चुकाई जा रही थीं. यानी ये बिल्कुल सेहतमंद परफॉर्मिंग असेट्स थे. अगर ये कर्जे भी आज अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, तो इसकी वजह अर्थव्यवस्था की बदइंतजामी है. इसलिए वैसे कर्जे नॉन परफॉर्मिंग असेट्स बन गए हैं.
ऐसा कोई मौका नहीं आया, जब मैंने फोन उठाया हो और किसी चेयरमैन को कहा हो, ‘यह कर्ज दे दीजिए’. एसबीआई की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य, जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुई हैं, ने बयान दिया कि किसी ने भी कभी उन्हें ए या बी को कर्ज देने के लिए नहीं कहा. अगर मैं अपनी सरकार की तरफ से, अपनी तरफ से कहूं, तो मैं यह पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि हमने कभी किसी भी बैंक को किसी भी ए या बी को कर्ज देने के लिए नहीं कहा.
यह बात समझनी चाहिए कि ज्यादातार कर्जे किसी एक बैंक द्वारा दिए गए कर्जे नहीं हैं. ये कंसटोरियम द्वारा दिए गए कर्जे हैं. किसी के पास भी इतनी क्षमता या प्रभावक्षेत्र नहीं है कि वह सभी बैंकों के चेयरमैनों तक पहुंच सके. हकीकत ये है कि यूपीए के समय में, हमने माल्या के खाते के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरू कर दी थी.
एक्साइज डिपार्टमेंट ने कार्रवाई शुरू कर दी, सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट ने कार्रवाई शुरू कर दी, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कार्रवाई शुरू कर दी. हवाई जहाज को जब्त कर लिया गया. ये सारी बातें रिकॉर्ड में हैं. यह कहना कि यूपीए या यूपीए सरकार के किसी व्यक्ति ने बैंकों के चेयरमैन को माल्या को कर्ज देने के लिए कहा था, एक हैरान करनेवाला झूठ है.