राजनीतिक दलों को बड़ा झटका, हाई कोर्ट ने जारी किया आदेश

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालिय बेंच ने कोरोना काल में हो रहे राजनैतिक कार्यक्रमों को गंभीरता से लिया है.

ग्वालियर. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालिय बेंच ने कोरोना काल में हो रहे राजनैतिक कार्यक्रमों को गंभीरता से लिया है. हाई कोर्ट ने आयोजन को लेकर शुरुआती दौर में जिला प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई है. साथ ही कहा है कि राजनीतिक दबाव के चलते प्रशासन कोरोना गाइड लाइन का पालन कराने में असफल साबित हुआ है. साथ ही ये भी कहा है कि जिला प्रशासन को हर हाल में कोरोना गाइडलाइन का पालन कराना होगा. अगर कोरोना की गाइड लाइन का पालन होता है, तो ये कोर्ट की अवमानना होगी.

दरअसल हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में राजनैतिक कार्यक्रमों में हो रही भीड़ को लेकर एक जनहित याचिका लगाई गयी थी, जिस पर कोर्ट ने ग्वालियर-चंबल संभाग के कलेक्टर ओर एसपी को तलब किया था. साथ ही कोर्ट ने तीन एडवोकेट को न्याय मित्र बनाया था, जिन्होंन अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौपीं थी, जिसके बाद आज कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा है कि कोई भी व्यक्ति ऐसे आयोजनों में 100 से ज्यादा लोगों की भीड़ देखकर कोर्ट को सूचित करें. साथ ही प्रशासन तत्काल उसके ऊपर कार्रवाई करें. अगर कार्रवाई नहीं होती है तो उस क्षेत्र के आधिकारी को दोषी माना जाएगा. इस मामले की अगली सुनवाई अब 15 अक्टूबर को होगी.

28 सीटों पर होने हैं उपचुनाव

मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव का ऐलान कर दिया गया है. चुनावी बिगुल भी बज चुका है. बाकी प्रक्रियाओं के बाद 3 नवंबर को वोटिंग और 10 नवंबर को मतदान के परिणाम घोषित होंगे. इस बीच ग्वालियर हाई कोर्ट के फैसले को राजनीतिक दलों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. क्योंकि ग्वालियर चंबल अंचल में ही सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. हाई कोर्ट के आदेश के बाद कार्यक्रमों में भीड़ बुलाने पर राजनीतिक दलों को मुश्किल हो सकती है.