बीजेपी से निराश पोरबंदर विधानसभा क्षेत्र का मछुआरा समुदाय दूसरे विकल्प की तलाश कर रहा है. यह समुदाय इस क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है. शुक्रवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ इस समुदाय के लोगों की मुलाकात के बाद ये दावा किया जा रहा है कि राज्य में बीजेपी के 22 साल के कुशासन के पतन की शुरुआत महात्मा गांधी के जन्मस्थल से होगी.
मछुआरा समुदाय के नेता और ‘पोरबंदर मच्छीमार बोट ओनर्स एसोसिएशन’ के अध्यक्ष भरतभाई मोदी ने बताते हैं कि क्यों बापू के जन्मस्थान में कांग्रेस के पुनर्जीवित होने के लिए मंच तैयार है. भरतभाई ने कहा, “हमारे समुदाय (खर्वा) को इस बात का एहसास है कि हम विकास की दौड़ में पीछे रह गए हैं. भाजपा 22 वर्षों से राज्य की सत्ता में है, लेकिन हमारी समस्याएं अभी भी जस की तस हैं.”
विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी के खिलाफ मोदी के बयान का विशेष महत्व है, क्योंकि यह बयान बीजेपी के अपने कार्यकर्ताओं में पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बढ़ रहे असंतोष को जाहिर करता है.
अपने निलंबन की वजह बने उस दिन के कार्यक्रमों को याद करते हुए मोदी ने कहा कि राहुल गांधी शुक्रवार को एक बेहद संक्षिप्त दौरे पर पोरबंदर आए थे. वह वहां किसी रैली को संबोधित करने नहीं आए थे. वह महात्मा गांधी के जन्म स्थान, किर्ती मंदिर के दर्शन करने और बंदरगाह पर मछुआरों की समस्याएं सुनने आए थे. उन्होंने आगे कहा, “मैं भी उस बैठक में मौजूद था. मैंने मंच पर खड़े होकर पोरबंदर के मछुआरों की कुछ समस्याओं को उठाया था.”
एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि पोरबंदर विधानसभा सीट, जहां दूसरा सबसे बड़ा समुदाय खर्वा जाति है, वहां सत्ता की चाभी 35,000-40,000 मतदाताओं के पास है.
साल 2012 में बाबूभाई बोखारिया के विधायक बनने के साथ भाजपा ने कांग्रेस से ये सीट छीन ली थी. खर्वा समुदाय के लोग साल 2012 और फिर साल 2014 में भाजपा के साथ मजबूती से खड़े थे. लेकिन अहमदाबाद को समझने वालों का मानना है राहुल गांधी की यात्रा से पैदा हुए लहर ने इस बहस को खड़ा कर दिया है कि यह समुदाय किस ओर झुकेगा.