स्वाइन फ्लू से लोगों को छुटकारा तक नही मिला था उतने में ही भुज शहर डेंगू की चपेट में आता दिख रहा है. भुज की सरकारी अस्पताल में हर रोज़ ६० स्वाइन फ्लू पोजिटिव केसेस आ रहे है. स्वास्थ्य विभाग को इसके बारे में कोई ठोस जानकारी तक नही है. चौकानी वाली बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग ने इन आंकड़ों में निजी अस्पतालों में आने वाले मरीज़ों की संख्या को जोड़ा ही नही है.
भुज शहर में तरह-तरह के रोगों की गंभीरता बढ़ रही है और ज़्यादातर मरीज़ मच्छरों से होने वाली बिमारियों के ही शिकार हो रहे है. शहर के निजी और सरकारी अस्पताल में OPD में आने वालें मरीज़ों की संख्या में दोगुना बढोत्तरी हुई है. कई जगहों पर तो मरीज़ों को भर्ती करने के लिए बिस्तर तक कम पड़ रहे है.
शहर का आरोग्य तंत्र बेफ़िक्र नज़र आ रहा है. हर घर में बढ़ रही बिमारियों की और ना तो स्थानीय सरकार का कोई ध्यान है और ना ही राज्य सरकार इसकी दखल ले रही है. भुज पालिका ने लाखों रुपए खर्च कर के मच्छरों को मारने की दवाई खरीदी है लेकिन उसका अब क्या हुआ यह किसी को नही पता. भुज के 80% इलाके में बीते कई हफ्तों से DDT का छिड्काव नही हुआ. क्या यही है गुजरात में लोगों के स्वास्थ्य के साथ हो रहे खेल की सच्चाई?