27 साल बाद गोरखपुर में ढहा योगी का किला, अपने ही घर में डूब गई नैया

नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तरप्रदेश की सियासत में आज बड़ा उलटफेर हुआ है उत्तर प्रदेश और बिहार दोनों राज्यों में हुए उपचुनाव से सियासी समीकरण बदल गए हैं। जिस चुनाव को 2019 का सेमिफाइनल कहा जा रहा था उसमें बीजेपी को बहुत बड़ा झटका लगा है।

उत्तरप्रदेश में इस बार सारी भविष्यवाणी फेल हो गई। जीस सिट पर सूबे के मुख्यमंत्री एवं भाजपा के फायर ब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ राज करते है उस सिट पर सपा ने करारी हार दी है वही उपमुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्य की सिट पर भी भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा

5 बार लगातार सांसद रह चुके सीएम योगी आदित्यनाथ की सीट गोरखपुर में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार प्रवीण निषाद जीत हासिल करने की ओर हैं। इस सीट पर बीजेपी को 28 साल बाद हार झेलनी पड़ी है। 1991 से ही यह सीट बीजेपी के खाते में थी। गोरखपुर और फूलपुर से आए आंकड़े बता रहे हैं कि बुआ और बबुआ की जोड़ी ने कमाल कर दिया है यही वजह है कि सीएम योगी और बीजेपी का सबसे मजबूत किला गोरखपुर ढह गया है।

उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव और मायावती की जोड़ी ने बीजेपी का चैन छीन लिया। वहीं, बिहार में अकेले तेजस्वी यादव ने सियासी अखाड़े में बीजेपी और जेडीयू के मजबूत गठजोड़ को करारी पटखनी दे दी। अररिया लोकसभा सीट पर RJD उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। जहानाबाद विधानसभा सीट पर भी आरजेडी ने जीत दर्ज की है तो भभुआ विधानसभा सीट बीजेपी ने जीत ली है। अखिलेश और मायावती की जोड़ी ने गोरखपुर और फूलपुर में बीजेपी को झटका दिया तो सपा और बसपा कार्यकर्ता गोरखपुर से लेकर फूलपुर तक जश्न में डूब गए है। गोरखपुर की सड़कें लाल टोपी से रंग गईं तो फूलपुर में खुशी में सराबोर कार्यर्ताओं ने पटाखेबाजी की। लखनऊ में जीत वाली होली खेली गई तो इलाहाबाद में भी जश्न मनाया जा रहा है।

2014 के आम चुनाव से तुलना करें तो बीजेपी के लिए यह बड़ी हार है। इसकी वजह यह है कि 2014 में दोनों ही सीटों पर एसपी और बीएसपी मिलकर भी वोटों के मामले में बीजेपी से खासा पीछे थे। उस अंतर को खत्म करना और फिर बड़ी जीत हासिल करना, दोनों के बीच 2019 में गठबंधन की संभावनाओं को मजबूत करेगा। गौरतलब है कि कांग्रेस ने एसपी और बीएसपी के साथ गठबंधन नहीं किया था, ऐसे में यदि 2019 में वह भी महागठबंधन का हिस्सा बनती है तो बीजेपी को विपक्ष कड़ी टक्कर देने की स्थिति में होगा।

समाजवादी पार्टी के कैंडिडेट्स को फूलपुर और गोरखपुर में मिली बड़ी जीत 2019 में महागठबंधन की संभावनाओं को मजबूत करेगी। इस बार बीएसपी ने एसपी के उम्मीदवारों को अपना समर्थन दिया था। कांग्रेस से सहमति नहीं बन पाई थी। दो दलों के मिलने से आए यह अप्रत्याशित नतीजे अब सूबे में एसपी, बीएसपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभावनाओं को बल देंगे। यदि ऐसा गठबंधन आकार लेता है तो बीजेपी के लिए 2019 की चुनौती खासी कठिन होगी।