कमाओ, खाओ और बचाओ के फलसफे से तौबा, अब बस कमाओ और उड़ाओ

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कल ही आम बजट (General Budget) पेश किया है। इसमें निम्न मध्यम वर्गीय, खास कर वेतनभोगी वर्ग को वो नहीं मिला, जो उनकी चाहत थी। यह वर्ग चाह रहा था कि बजट में इनकम टैक्स (Income Tax) में छूट (Income Tax Choot) की सीमा बढ़े। बचत पर इंसेंटिव मिले। वह चाह रहा था कि इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत छूट की सीमा मिले। इसके साथ ही होम लोन पर भी अलग से टैक्स में छूट की व्यवस्था हो। लेकिन इस मोर्चे पर उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हुआ। हां, जो व्यक्ति बचत नहीं करते, उन्हें जरूर दो लाख रुपये की राहत मिली है।

भारत परंपरागत रूप से बचत (Saving) करने वाला देश रहा है। बचत ही भारत की वह पूंजी है, जिसके बूते भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) हर आर्थिक संकट से बचती रही है। साल 2008 से 2010 के बीच आई मंदी का तो आपको याद होगा ही। इसमें अमेरिकी समेत दुनिया भी सभी अग्रणी अर्थव्यवस्था झुलस गई थी। लेकिन भारत पर इसका कोई खास असर नहीं दिखा था। उस समय हमारे यहां सेविंग का रेट 30 से 32 फीसदी तक था। उस समय सेविंग पर इंसेंटिव भी खूब था।

भारत का वेतनभोगी टैक्सपेयर्स हर बजट से कुछ न कुछ छूट की उम्मीद पाले रहता है। लेकिन उन्हें हर बार निराशा ही हाथ लगती है। इस बार तो बजट के बाद सोशल मीडिया पर एक मीम भी शेयर हुआ है। उसमें एक धारावाहिक ताड़क मेहता का उल्टा चश्मा के पात्र ‘जेठालाल’ का जिक्र किया गया है। उसमें कहा गया है “मिलने वाला कुछ नहीं होता फिर भी आम आदमी बजट को ऐसे देखता है….जैसे जेठालाल .. को.” इस बार भी मध्यमवर्गीय टैक्सपेयर्स की उम्मीद धूल-धुसरित हुई।