कांग्रेस की पूर्व पार्षद धरने पर बैठीं, बोलीं- बच्चों के कब्रिस्तान की जगह पर एप्रोच रोड नहीं बनने देंगे

  • ब्रिज निर्माण में करीब 39 करोड़ की लागत आ रही, इसका 80% काम पूरा हो चुका
  • आर्च ब्रिज की एप्रोच रोड में बाधक तीन मकानों के नहीं हटने से इसका काम अटका रहा है

भोपाल के छोटे तालाब पर बन रहे आर्च ब्रिज को लेकर एक बार फिर सियासत शुरू हो गई है। इस ब्रिज को किलोल पार्क से गिन्नौरी इलाके को जोड़ने के लिए बनाया जा रहा है। मंगलवार को कांग्रेस की पूर्व पार्षद साबिस्ता जकी ब्रिज के लिए बनने वाले एप्रोच रोड का विरोध करते हुए धरने पर बैठ गईं।

साबिस्ता ने कहा कि बच्चों के कब्रिस्तान पर रोड नहीं बनने दी जाएगी। करीब 39 करोड़ की लागत के 150 मीटर लंबे ब्रिज का करीब 80% निर्माण पूरा हो चुका है। लेकिन ब्रिज की एप्रोच रोड को लेकर गतिरोध बरकरार है। एप्रोच रोड पर तीन मकान आ रहे हैं। नगर निगम अमला इन्हें जब भी हटाने की कोशिश करता है तो विरोध के कारण लौटना पड़ता है। इसी जगह पर सालभर पहले भाजपा के तत्कालीन महापौर आलोक शर्मा भी धरने पर बैठे थे। तब उनकी मांग थी कि यहां मूर्ति की जल्द स्थापना हो। काम भी तेजी से किया जाए।

बजट नहीं होने पर स्मार्ट सिटी को ट्रांसफर हो गया

ब्रिज तैयार हो चुका है। मई 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भूमिपूजन किया था। कहा गया था कि ब्रिज दो साल में तैयार हो जाएगा। 39 करोड़ की लागत से बन रहे ब्रिज के लिए बजट में इंतजाम नहीं होने पर इसे स्मार्ट सिटी को ट्रांसफर कर दिया गया।

साबिस्ता जकी ने महापौर का पुतला फूंका था

करीब एक साल पहले भी साबिस्ता जकी ने विरोध जताया था। उन्होंने तत्कालीन महापौर आलोक शर्मा के रवैये पर नाराजगी जताई और धरनास्थल पर उनका पुतला जलाया था। साबिस्ता ने कहा था कि कमलनाथ सरकार विकास करना चाहती है। लेकिन आलोक शर्मा रोड़ा अटका रहे हैं। शर्मा पर गंभीर आरोप भी लगाए थे। उनका कहना था कि महापौर ने विकास करने की बजाए भोपाल का विनाश किया है। उस समय साबिस्ता कांग्रेस की तत्कालीन पार्षद थीं।

महापौर भी बैठ चुके हैं धरने पर

एक साल पहले तत्कालीन महापौर आलोक शर्मा भी यहीं पर कमलनाथ सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे थे। शर्मा यहां रानी कमलापति की मूर्ति के लोकार्पण में देरी को लेकर धरने पर बैठे थे। शर्मा का कहना था कि आर्च ब्रिज के निर्माण में भी देरी हो रही है। महापौर ने चेतावनी दी थी कि अगर 72 घंटे में रानी कमलापति की प्रतिमा का लोकार्पण नहीं हुआ तो वे खुद इसका लोकार्पण कर देंगे।