जब किसानो से गुजरात में इस बार के चुनाव के बारे में पूछा गया तो, उसने अपनी पीड़ा बताई वो कितना परेशान है वर्तमान सरकार से ये उसने बताया. एक किसान ने हमें बताया, “हमने कभी ऐसी गरीबी नहीं देखी है. शादियों का मौसम आ रहा है और हमारे पास पैसा नहीं है. कपास का हमारा भंडार बिक नहीं पाने की वजह से बेकार पड़ा हुआ है. सरकार से 804 रुपये से लेकर 854 रुपये प्रति 20 किलोग्राम न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त करने के लिए हमें एक लंबी कतार में इंतजार करना पड़ता है. हमारे गांव से कतार में 2200 से ज्यादा किसान पहले से लगे हैं. कतार में हर दिन सिर्फ 25 किसान खपते हैं. इस रफ्तार से हमारी बारी 3 महीने के बाद आएगी. इसलिए, हमारे पास निजी व्यापारियों को 700 रुपये प्रति 20 किलोग्राम बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.”
एक बड़े सिरेमिक इकाई के एक कार्यकारी अधिकारी ने कहा, “कौन बता सकता है कि गुजरात चुनाव खत्म होने के बाद सरकार जीएसटी दरों में वृद्धि नहीं करेगी? चुनाव के परिणाम चाहे जो भी हों यह ‘मूडी’ सरकार जीएसटी दर को संशोधित कर उसे बढ़ा सकती है. चुनाव में जीत हो या हार, केंद्र की बीजेपी सरकार 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कम करने के लिए जीएसटी दरों में वृद्धि कर सकती है.”
वहां पर एक भारी मशीन खड़ी थी जिसका चालक था.
अमरेली जिले का एक पटेल युवक ने कहा, “इस बार हम बीजेपी सरकार को हटाने के लिए वोट देंगे. हमारे चुनाव पूर्व सर्वेक्षण दौरे के दौरान हमें एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जिसने बीजेपी का समर्थन किया हो. 2012 में हुए पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी के समर्थक आप पर झपट्टा मार देते अगर आपने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने की हिम्मत की होती.