फेसबुक ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- शोर भरे माहौल में चुप रहना बेहतर, समिति के सामने जाना या ना जाना मुझ पर छोड़ें

पिछले साल दिल्ली में हुए दंगों की जांच के सिलसिले में दिल्ली सरकार की शांति समिति ने फेसबुक इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट अजित मोहन को नोटिस भेजा है। अजित मोहन ने इस नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस मामले पर सुनवाई के दौरान अजित मोहन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कि आज के शोर भरे माहौल में चुप रहना ही बेहतर है।

अजीत मोहन की इस दलील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। दिल्ली की कमेटी पिछले साल नॉर्थ दिल्ली में हुए दंगों के दौरान हेट स्पीच को लेकर फेसबुक की भूमिका जांच कर रही है। उसने सवाल-जवाब के लिए अजित को तलब किया था।

सुप्रीम कोर्ट में फेसबुक की ओर से दी गईं 3 दलीलें

1. सुप्रीम कोर्ट में अजित की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने दलीलें रखीं। उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था से जुड़े केस की जांच दिल्ली विधानसभा के अधिकार में नहीं आती है।
2. देश की राजधानी दिल्ली में कानून और व्यवस्था का मामला केंद्र के दायरे में आता है। ऐसे में इससे जुड़े मामले में कमेटी का गठन किया जाना दिल्ली विधानसभा का काम नहीं है।
3. इस तरह पिछले दरवाजे से शक्तियों के विस्तार को इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। आज के शोर भरे माहौल में चुप रहने में ही भलाई है। ये मेरे मुअक्किल पर छोड़ देना चाहिए कि वो समिति के सामने जाना चाहते हैं या नहीं।

दिल्ली विधानसभा और केंद्र की दलीलें

दिल्ली विधानसभा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अभिषेक मनु सिंघवी ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा के पास किसी को नोटिस भेजने का अधिकार है। इस पर केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि समिति कानून और व्यवस्था को अपना अधिकार क्षेत्र बता रही है, जबकि यह केंद्र सरकार के अधीन है। इससे पहले भी केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में यही दलील रखी थी कि कानून और व्यवस्था का मसला दिल्ली विधानसभा का अधिकार क्षेत्र नहीं है।