उत्तर भारत के बाजारों से दिवाली के उत्सव और रंग गायब हैं. जो बाजार दिवाली नजदीक आते ही गुलजार हो जाते थे, वे सुनसान दिख रहे हैं. व्यवसायियों का मानना है कि कमजोर लिक्विडिटी (कमजोर तरलता/नकदी की कमी) के चलते बाजार सूने पड़े हैं. हरियाणा व्यापार मंडल के एक अनुमान के मुताबिक, व्यवसायियों का मानना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल बिक्री में कम से कम 30 फीसदी की कमी रहेगी.
मंदी ने बाजार पर डाला प्रभाव
युवा हरियाणा व्यापार मंडल, पंचकूला, हरियाणा के अध्यक्ष राहुल गर्ग का कहना है, ‘बाजार में सन्नाटा है और खरीदार गायब हैं. कमजोर लिक्विडिटी के चलते ग्राहक बाजार से दूर हैं. अगर आपकी जेब में पैसे नहीं हैं तो आप खरीदारी कैसे करेंगे? मंदी ने बाजार के हर हिस्से को बुरी तरह प्रभावित किया है.’
राहुल गर्ग के मुताबिक, कमजोर लिक्विडिटी के अलावा दूसरा सबसे बड़ा कारण है बढ़ता ऑनलाइन बाजार. ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल न सिर्फ पारंपरिक दुकानों के मुनाफे खा रहे हैं, बल्कि बेरोजगारी भी बढ़ा रहे हैं.
रोजगार पर पड़ रहा असर
गर्ग ने कहा, ‘दुकानदार बिक्री के लिए स्टॉफ रखते हैं और स्टॉक रखने के लिए लोन उठाते हैं. लेकिन ऑनलाइन स्टोर कम स्टॉफ से काम चला लेते हैं, इससे बेरोजगारी भी बढ़ती है. लोग जरूरत के मुताबिक खरीदारी करते हैं, वह भी ऑनलाइन स्टोर से हो जाती है. इसके चलते दुकानदार व्यवसायियों पर मार पड़ रही है. अब अनाज तक ऑनलाइन बिक रहे हैं. हमारा व्यवसाय बचाने के लिए सरकार को कुछ करना चाहिए.’