खराब फसलों का मुआवजा देने और किसानों की दूसरी मांगों को लेकर जिला कांग्रेस ने धरना प्रदर्शन किया

  • कांग्रेस के धरना प्रदर्शन को अनुमति नहीं मिली, फिर भी सैकड़ों किसान खराब फसलें लेकर पहुंचे, इस बार नहीं हुआ केस दर्ज
  • लॉकडाउन शुरू होने से अब तक की पहली बड़ी रैली बस स्टैंड पर हुई, ज्ञापन में की मांग-किसानों को बीमा-मुआवजा दिया जाए

झाबुआ: खराब फसलों का मुआवजा देने, बिजली बिल माफ करने और किसानों व लोगों की दूसरी कई सारी मांगों को लेकर जिला कांग्रेस ने धरना प्रदर्शन किया और रैली निकाली। इसकी अनुमति के लिए एसडीएम को आवेदन दिया गया था, जो निरस्त कर दिया गया। इसके बावजूद सैकड़ों की संख्या में लोग जिलेभर से जमा हुए। किसान अपनी खराब फसलें साथ लेकर आए। 22 मार्च को लॉकडाउन की जिले में शुरुआत होने से लेकर अब तक किसी भी पार्टी का ये पहला बड़ा आयोजन था। बिना अनुमति के बड़ा कार्यक्रम हुआ, इसके बावजूद एफआईआर नहीं हुई। हालांकि इसके पहले कलेक्टोरेट परिसर में कम लोगों के धरने के बावजूद कांग्रेस नेताओं पर मामला दर्ज किया गया था। तब भी धारा 144 लगी हुई थी और अब भी है। मामले में एसडीएम एनएल मालवीय का कहना है कांग्रेस ने धरना प्रदर्शन और रैली निकालने के लिए आवेदन दिया था जो निरस्त कर दिया था। फिलहाल एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।

रैली के रूप में लोग बस स्टैंड से कलेक्टर पहुंचे

गुरुवार के विरोध प्रदर्शन में झाबुआ विधायक कांतिलाल भूरिया, थांदला विधायक वीरसिंह भूरिया, पेटलावद विधायक वालसिंह मेड़ा और जोबट विधायक कलावती भूरिया सहित दूसरे कई नेता-कार्यकर्ता पहुंचे। बस स्टैंड पर सभा हुई। बस स्टैंड से लेकर नगर पालिका के सामने से होकर जाने वाले वैकल्पिक मार्ग और कलेक्टोरेट पर खासा पुलिस बल तैनात था। एक रैली के रूप में सारे लोग बस स्टैंड से कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। यहां कलेक्टर रोहितसिंह को ज्ञापन राज्यपाल के नाम दिया गया।

उचित मूल्य की दुकानों से बीपीएल परिवारों को नहीं मिल रहा राशन

ज्ञापन में मांग की गई कि सोयाबीन की फसल पूरी तरह से खराब हो चुकी है। किसानों को फसल बीमा और मुआवजा दिया जाए। बिजली के बढ़े हुए बिलों से आम आदमी और किसान परेशान है। पिछली सरकार में जो बिल 100 रुपए का आता था, वो अब 2 हजार रुपए का आ रहा है। जिले से बाहर मजदूरी करने वाले कई मजदूर यहीं पर हैं। उनके लिए रोजगारमूलक कार्य करवाना चाहिए। उचित मूल्य की दुकानों से बीपीएल परिवारों को राशन नहीं मिल रहा। इसकी व्यवस्था होना चाहिए। इन दिनों बेरोजगारी बढ़ गई है। लोगों की नौकरियां चली गई। शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर चुके लोगों को नौकरी नहीं मिल रही। उन्हें नौकरी दी जाना चाहिए और संविदा के सभी कर्मचारियों को नियमित करना चाहिए।