वर्ग 2 के हिंदी पदों में वृद्धि की मांग को लेकर प्रदर्शन, संगठन बोले- प्रदेश में डेढ़ लाख पद खाली हैं

  • प्रर्दशनकारियों का आरोप- भर्ती नहीं होने से पीएचडी, एमफिल, बीएड स्टूडेंट सड़कों की खाक छान रहे
  • मप्र में 20 हजार से ज्यादा ऐसे स्कूल, जो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे, फिर भी सरकार भर्ती नहीं कर रही

हिंदी दिवस के मौके पर सोमवार को रीगल चौराहे पर हिंदी शिक्षकों के पदों की वृद्धि को लेकर कुछ संगठनों ने प्रदर्शन किया। उनकी मांग है कि परीक्षा वर्ग- 2 में सिर्फ 100 पदों पर ही भर्ती की गई, जबकि अन्य विषयों पर इससे कहीं ज्यादा पद भरे गए।

रीगल चौराहे पर प्रदर्शन करने पहुंचे युवा।

प्रदेश के 20 हजार से ज्यादा स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक है। ऐसे में सरकार हिंदी की अनदेखी कर रही है। जब हम अपनी मांग लेकर सरकार के पास जाते हैं तो हम पर लाठी बरसाते हैं। प्रदेश में शिक्षकों के डेढ़ लाख पद खाली हैं। 5 हजार पदों पर भर्ती से कुछ होने वाला नहीं है। हमारी मांग है कि सरकार हिंदी के पदों में वृद्धि करे।

नामदेव ने लगाया सरकार पर हिंदी की अवहेलना का आरोप।
नामदेव ने लगाया सरकार पर हिंदी की अवहेलना का आरोप।

प्रदर्शनकारी प्रमोद नामदेव का कहना है कि हमारी मातृभाषा हिंदी है, लेकिन सरकारें लगातार भाषा की अव्हेलना कर रही हैं। जबकि भाषा जितनी समृद्ध होती है, चिंतन भी उतना ही समृद्ध होता है। मप्र में जब वर्ग दो के लिए शिक्षक भर्ती हुई तो मात्र 100 पद दिए गए। मप्र में 20 हजार से भी ज्यादा ऐसे स्कूल हैं, जो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। प्रदेश में शिक्षकों की बहुत जरूरत है, लेकिन सरकार भर्ती नहीं कर रही है। यदि सरकार हिंदी को लेकर इतनी चिंतित है तो हमारी मांग है कि वे हिंदी शिक्षक के पद बढ़ाए। 100 पदाें से प्रदेश में हिंदी समृद्ध नहीं हो सकती है। पीएचडी, एमफिल, बीएड स्टूडेंट सड़कों की खाक छान रहे हैं।

शिक्षक बनने का सपना देखा, लेकिन अब वे दूसरा काम करने को मजबूर हैं। युवा जब भर्ती की मांग लेकर सरकार के पास जाता है तो वहां उन पर डंडा चलता है। 4 सितंबर को हमने प्रदर्शन किया तो सरकार ने हमारी महिलाओं बहनों और युवाओं पर तक लाठीचार्ज कर अभद्र व्यवहार किया। हमारी मांग यही है कि हिंदी समेत सभी पदों पर समानता हो। प्रदेश में डेढ़ लाख पद खाली हैं। 5 हजार पदों पर भर्ती से कुछ होने वाला नहीं है।