कांग्रेस में​ महापौर चुनाव को लेकर नहीं बन पा रही राय

नगर निकाय अध्यक्षों के चुनाव को लेकर कांग्रेस असमंजस में फंस गई है। कांग्रेस का एक धड़ा सीधे चुनाव प्रक्रिया से बैकफुट पर आने से जनता में भ्रम फैलने की आशंका जता रहा है जबकि दूसरा धड़े का कहना है कि सीधे चुनाव से भाजपा को फायदा हो सकता है। इसलिए इस प्रक्रिया को वापस लेना चाहिए। इस बीच नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल का कांग्रेस नेताओं और जनप्रतिनिधियों से राय जानने का काम जारी किए हुए हैं।

कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में किए वादे के अनुसार नगर पालिका अधिनियम में संशोधन कर नगर निगम महापौर, नगर परिषद सभापति और नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव प्रक्रिया को प्रत्यक्ष कर दिया। इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार मिली तो कुछ नेताओं ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के समक्ष सीधे चुनाव प्रक्रिया पर फिर से विचार करने की मांग रख दी। इसके बाद सरकार ने नगरीय विकास मंत्री धारीवाल को पुर्निवचार का जिम्मा सौंपा।

धारीवाल अब तक कई मंत्रियों, विधायकों के साथ नगर निकायों का चुनाव लडऩे के इच्छुक नेताओं से वार्ता कर चुके हैं। फिलहाल कोई निर्णय नहीं हो सका है। सूत्रों ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर धारीवाल की अभी मुख्यमंत्री गहलोत और उपमुख्यमंत्री पायलट से चर्चा होना बाकी है। इसके बाद ही इस पर अंतिम निर्णय हो सकेगा।

कदम पीछे लेना बन न जाए मुद्दा
कांग्रेस का एक वर्ग का कहना है कि यदि अब सरकार अपने कदम पीछे लेती है तो इससे कांग्रेस के खिलाफ चुनाव में माहौल बन सकता है। भाजपा भी इसे मुद्दा बना सकती है।

कई जगह बन सकता है बोर्ड
दूसरे पक्ष का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद शहरी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पक्ष में माहौल बना हुआ है। सीधे चुनाव में कांग्रेस को हार मिल सकती है, लेकिन अप्रत्यक्ष चुनाव होने से कई जगह बहुमत आ सकता है और पार्षदों की वोटिंग से कांग्रेस का बोर्ड बन सकता है।