भोपाल. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने द्वीट कर कहा है, सरकार ने आदिवासी इलाकों में उनकी ज़मीनों को गैर आदिवासियों को बेचने का कोई फैसला नहीं लिया है. उन्होंने लिखा कि प्रदेश में आदिवासी की जमीन गैर आदिवासी को बेचना प्रतिबंधित है. आदिवासियों के हितों की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है. सीएम कमलनाथ ने साफ कहा है कि आदिवासियों की जमीन बेचे जाने को लेकर सरकार ने किसी भी तरह के नियम में कोई बदलाव नहीं किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों में गैर आदिवासी के गैर आदिवासी की जमीन खरीदने के बाद डायवर्सन के लिए जो समय-सीमा थी, उसे खत्म करने का फैसला लिया है.
आदिवासी संगठनों ने जताई थी नाराज़गी
दरअसल प्रदेश में ऐसी खबरें चल रही थीं कि प्रदेश के अनुसूचित आदिवासी क्षेत्रों में भू-राजस्व की संहिता की धारा 165 के तहत सरकार ने आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासी को बेचे जाने की अनुमति दी है. इसको लेकर आदिवासी संगठनों ने नाराजगी जताई थी.
प्रदेश के अनुसूचित आदिवासी क्षेत्रों में भू राजस्व की संहिता की धारा 165 के अनुसार किसी भी आदिवासी भाई की जमीन गैर आदिवासी को बेचने पर पूर्ण प्रतिबंध है और जिले के कलेक्टर भी इसकी अनुमति नहीं दे सकते हैं।
2/4— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) November 29, 2019
सीएम कमलनाथ ने कहा- नहीं बदले नियम
सीएम कमलनाथ की सफाई के बाद साफ हो गया है कि प्रदेश में आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासी को बेचे जाने या फिर लीज पर दिए जाने को लेकर पूर्व के नियम यथावत रहेंगे. आदिवासी की जमीन किसी गैर आदिवासी को बेचना प्रतिबंधित रहेगा. जिले के कलेक्टर भी इसकी अनुमति नहीं दे सकते.
राज्य सरकार ने जो सामान्य सा बदलाव किया है वह यह है कि अनुसूचित क्षेत्रों में गैर आदिवासी द्वारा गैर आदिवासी की जमीन खरीदने के बाद डायवर्सन के लिए जो समय सीमा थी बस उसे समाप्त कर दिया है।
यह कदम भी इन क्षेत्रों के विकास की दृष्टि से व आदिवासी भाइयों के हित में उठाया गया है।
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मध्य प्रदेश सरकार आदिवासियों के समस्त हितों का संरक्षण करने के लिए कटिबद्ध है और ऐसा कोई कदम कभी नहीं उठायेगी, जो प्रदेश के आदिवासियों के हित में न हो.