केंद्र की अर्जी खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 6 गुना मुआवजा दिया जा चुका, भोपाल गैस पीड़ितों को अतिरिक्त ₹7800 करोड़ मुआवजा नहीं मिलेगा

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भोपाल गैस पीड़ितों के लिए यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन और उसकी सहायक फर्माें से अतिरिक्त मुआवजा दिलाने की केंद्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। केंद्र ने 2010 में क्यूरेटिव पिटीशन के जरिए डाउ कैमिकल्स से 7800 करोड़ का अतिरिक्त मुआवजा दिलाने की अपील की थी।

सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, 1984 में 2-3 दिसंबर की रात को हुए इस हादसे में 3700 लोग मारे गए थे। केंद्र सरकार ने इस राशि की मांग यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन को खरीदने वाली फर्म ​​​​​​डाउ कैमिकल्स से की थी। गैस कांड के बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने पीड़ितों को 470 मिलियन डॉलर (715 करोड़ रुपए ) का मुआवजा दिया था।

केंद्र सरकार की क्यूरेटिव पिटीशन पर 12 जनवरी 2023 को SC ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सरकार ने पक्ष रखते हुए कहा था- पीड़ितों को अधर में नहीं छोड़ सकते।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच ने कहा कि केस दोबारा खोलने पर पीड़ितों की मुश्किलें बढ़ेंगी।

सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन पर और ज्यादा मुआवजे का बोझ नहीं डाला जा सकता। पीड़ितों को नुकसान की तुलना में करीब 6 गुना ज्यादा मुआवजा दिया जा चुका है।

कोर्ट ने कहा कि 2004 में समाप्त हुई कार्यवाही में यह माना गया था कि मुआवजा राशि काफी है। जिसके मुताबिक दावेदारों को उचित मुआवजे से ज्यादा का भुगतान किया जा चुका है।

कोर्ट ने कहा- हम इस बात से निराश हैं कि सरकार ने त्रासदी के दो दशक तक इस पर ध्यान नहीं दिया और अब इस मुद्दे को उठाने का कोई औचित्य नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले दिए गए हलफनामे के मुताबिक गैस कांड पीड़ितों के लिए बीमा पॉलिसी तैयार नहीं करने के लिए भी केंद्र को फटकार लगाई और इसे घोर लापरवाही बताया।

जनवरी में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा था- सुप्रीम कोर्ट ने 1989 में एक लाख से ज्यादा पीड़ितों को ध्यान में रखकर हर्जाना तय किया था। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, गैस पीड़ितों की संख्या ज्यादा हो चुकी है। ऐसे में हर्जाना भी बढ़ना चाहिए।

2-3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात गैस त्रासदी हुई। यूनियन कार्बाइड कारखाने के 610 नंबर के टैंक में खतरनाक मिथाइल आइसोसायनाइड रसायन था। टैंक में पानी पहुंच गया। तापमान 200 डिग्री तक पहुंच गया। धमाके के साथ टैंक का सेफ्टी वॉल्व उड़ गया। उस समय 42 टन जहरीली गैस का रिसाव हुआ था।

उस वक्त एंडरसन यूनियन कार्बाइड का प्रमुख था। हादसे के चार दिन बाद वह अरेस्ट हुआ, लेकिन जमानत मिलने के बाद अमेरिका लौट गया। फिर कभी भारतीय कानूनों के शिकंजे में नहीं आया। उसे भगोड़ा घोषित किया गया। अमेरिका से प्रत्यर्पण के प्रयास भी हुए, लेकिन कोशिशें नाकाम रहीं। 92 साल की उम्र में एंडरसन की मौत 29 सितंबर 2014 में अमेरिका के फ्लोरिडा में हो गई थी।