कैंसर पीड़ितों को नहीं मिल रहा फ्री उपचार, मॉनिटरिंग कमेटी ने हाईकोर्ट में पेश की रिपोर्ट

भोपाल गैस त्रासदी मामले में शुक्रवार को मॉनिटरिंग कमेटी ने हाईकोर्ट के समक्ष 19वीं त्रैमासिक रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में कहा गया कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी गैस पीड़ित कैंसर मरीजों को फ्री उपचार नहीं मिल रहा है। जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस वीरेन्द्र सिंह की युगलपीठ ने नेशनल इंफ्रॉर्मेशन सेंटर के डायरेक्टर को गैस पीड़ितों के डिजिटल कार्ड बनाकर 20 फरवरी तक न्यायालय में परिपालन रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। आदेश का परिपालन नहीं होने पर अवमानना की चेतावनी दी गई है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 बिंदुओं के निर्देश जारी किए थे। इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किए थे। मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने तथा रिपोर्ट के  आधार पर हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश भी जारी किए थे। इसके बाद उक्त याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही थी। याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किए जाने के खिलाफ भी अवमानना याचिका दायर की गई थी। अवमानना याचिका में कहा गया था कि गैस त्रासदी के पीड़ित व्यक्तियों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने हैं। अस्पतालों में आवश्यकता अनुसार उपकरण व दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। बीएमएचआरसी के भर्ती नियम का निर्धारण नहीं होने के कारण डॉक्टर व पैरा मेडिकल स्टाफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान नहीं करते हैं।

याचिकाकर्ता की तरफ से मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि आयुष्मान योजना के तहत सिर्फ कैंसर का उपचार होता है। जांच व अन्य उपचार के लिए गैस पीड़ितों को भुगतान करना पड़ रहा है। युगलपीठ ने सितंबर 2021 में आदेश जारी किए थे कि एम्स भोपाल में गैस पीड़ितों का फ्री में उपचार किया जाए। गैस पीड़ितों के डिजिटल कार्ड नहीं बने हैं। जिसके कारण उन्हें यह सुविधा नहीं मिल रही है। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता काशी पटेल ने पैरवी की।