मुसीबत बनी PM मोदी की जुमलेबाजी, बीजेपी के सबसे बड़े भाषणवीर और स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बड़बोलापन ही अब बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. 2007 विधानसभा चुनावों में गुजरात का सीएम रहते हुए जो बड़े-बड़े वायदे मोदी जी ने किए थे जनता अब वोट मांगने के लिए आने वाले नेताओं से उनका हिसाब मांग रही है. गुजरात चुनाव इस समय दिलचस्प रूप ले चुका है. एक तरफ पीएम मोदी की बड़ी-बड़ी घोषणाएं हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर, जिग्नेश मेवाणी और हार्दिक पटेल का संभावित साथ है.
गुजरात इस समय बहुत खास बन चुका है, क्योंकि भाजपा ने 2014 में गुजरात को एक आदर्श राज्य के तौर पर पेश किया था. लेकिन अब जब गुजरात में विधानसभा चुनाव आए हैं तो वहां की सड़कों से लेकर किसानों की हालत, बेरोज़गार युवा, बिना बिजली के गाँव, कमज़ोर स्वास्थ्य सेवाएं और न पूरे हुए राजनीतिक वादों की हकीकत सामने आ रही है.
ये वो वादे हैं जो नरेंद्र मोदी ने 2012 गुजरात विधानसभा चुनाव में किए थे लेकिन वो अब उनके लिए मुसीबत बन चुके है
1.राज्य में अभी भी बिजली कनेक्शन के तीन लाख से ज़्यादा आवेदन पत्र लंबित हैं. अभी तक राज्य सरकार केवल 8 से 14 घंटे ही बिजली दे पा रही है. इसी वर्ष 2 अगस्त को पीएम मोदी ने राज्य के एक लाख से ज़्यादा ग्रामीण परिवारों को बिजली देने का वादा किया था, जो अभी तक अँधेरे में जीवन बिता रहे हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक गुजरात के 11 लाख घरों में बिजली नहीं है, जिसमें से 9 लाख ग्रामों में हैं.
2.नर्मदा द्वारा राज्य में 9,633 गाँवों को पीने के पानी की सप्लाई देने का वादा किया गया था लेकिन अभी तक केवल 7,071 गाँवों को ही सप्लाई मिल पाई है. उसमे से भी सौराष्ट्र और कच्छ के गाँवों में सप्लाई पूरी तरह से नहीं हो पा रही है. इसके आलावा अभी तक पानी सप्लाई के लिए 1600 सहकारी समितियां ही बन पाई हैं जबकि लक्ष्य 4500 बनाने का था.
3.नरेंद्र मोदी ने ये वादा किया था कि वो गुजरात के गाँवों से गरीबी को ख़त्म कर सभी बीपीएल परिवारों को उस श्रेणी से बहार निकाल लेंगे. वर्ष 2000 में गुजरात के गाँवों में 23 लाख बीपीएल परिवार थे जिनकी संख्या 2012 में घटने के बजाए बढ़कर 30 लाख हो गई थी. अभी भी ग्रामों में बीपीएल परिवारों की संख्या 9 लाख से ज़्यादा है.
4.ये वादा किया गया था कि भाजपा राज्य में बेघरों के लिए प्रतिवर्ष दो लाख घर बनाएगी. लेकिन आकड़ों के अनुसार राज्य में केवल प्रतिवर्ष 10 हज़ार घर ही बन सकें. उसमें भी घरों के लिए भाजपा केंद्र सरकार की इंदिरा आवास योजना पर ही निर्भर रही.