“अपने बने अपनों के दुश्मन” चुनाव से पहले सहयोगी दलों ने बढ़ाई बीजेपी की मुश्किलें

बीजेपी के खेमे में अपने ही अपनों के दुश्मन बने हुए है ये तो रोज किसी न किसी नेता के बयान से पता चल जाता है पर यह बात कुछ और है,उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव से ठीक पहले बीजेपी के दो प्रमुख सहयोगी दलों ने उसकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं. राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद निकाय चुनाव का सामना कर रही बीजेपी पर जीत का भारी दबाव है. लेकिन केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के अपना दल और उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर की पार्टी ने कड़ा रुख अख्तियार कर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

सुहैलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने निकाय चुनाव को देखते हुए दबाव की राजनीति शुरू कर दी है. इसी के तहत राजभर की पार्टी 15वें स्थापना दिवस पर पांच नवंबर को लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में महारैली कर अपनी शक्ति का एहसास कराने के प्रयास में जुट गई, लेकिन चुनाव आयोग ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. आयोग के निर्देश के बाद अंबेडकर मैदान में होने वाली महारैली स्थगित हो गई है.
bjpt enemies are in his own organization
बीजेपी और ओमप्रकाश राजभर के बीच विवाद की शुरुआत गाजीपुर के जिलाधिकारी के स्थानांतरण को लेकर हुई थी. तब राजभर ने मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात कर जिलाधिकारी संजय खत्री की शिकायत की थी. उन्होंने कहा था कि उनके कार्यकर्ताओं की नहीं सुनी जा रही है. यदि ऐसा ही रहा तो उन्हें कड़ा फैसला लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. हालांकि, बाद में जिलाधिकारी का वहां से स्थानांतरण कर दिया गया था. उस विवाद के बाद अब ओमप्रकाश राजभर ने निकाय चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर बीजेपी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. राजभर ने कहा, “बीजेपी प्रभारी सुनील बंसल से मेरी तीन दिन पहले बात हुई है. अगर बात बन जाती है तो बहुत अच्छा. वरना, हमारी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी.”

इधर, राजभर का मामला अभी थमा भी नहीं था कि बीजेपी के एक अन्य सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने निकाय चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि अपना दल बीजेपी के उम्मीदवारों का समर्थन भी नहीं करेगा. निकाय चुनाव में अलग राह पकड़ने के बाद भी पार्टी ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकार में गठबंधन बना रहेगा.

बीजेपी सूत्रों के अनुसार, दोनों सहयोगी दलों के साथ निकाय चुनाव में सीटों को लेकर मामला काफी जटिल हो गया था. केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल से भी पार्टी की कई दौर की बातचीत हुई, लेकिन इसका हल नहीं निकल पाया.