बीजेपी नेता प्रभात झा के झूठ से झाबुआ के युवाओं और आदिवासियों में रोष

बीजेपी नेता प्रभात झा आज झाबुआ में पत्रकारों के बीच आकर अपने प्रत्याशी भानू भूरिया के गुणों का बखान करने वाले थे लेकिन पूरी की पूरी पत्रकार वार्ता ही झूठ और निन्दारस का शिकार हो गयी।

जब हमारे संवाददाता ने प्रभात झा के आरोपों पर स्थानीय लोगों से प्रतिक्रिया लेना चाही तो लोगों ने बताया की प्रभात झा ने पत्रकार वार्ता में बिना सर पैर का झूठ बोला की कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया ने झाबुआ में बनने वाला मेडिकल कॉलेज रुकवा दिया, जबकि हकीकत ये है की रतलाम-झाबुआ क्षेत्र में बना पहला मेडिकल कॉलेज कांतिलाल भूरिया के प्रयासों से ही बन पाया है।

स्थानीय लोगों ने बताया कि रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र में बने इस मेडिकल कॉलेज का बीजेपी ने विरोध भी किया था क्योंकि इसका राजनीतिक लाभ भाजपा को नहीं मिल रहा था।

जब हमने प्रभात झा द्वारा कांतिलाल भूरिया पर लगाये वंशवाद पर झाबुआ के एक सेवानिवृत्त प्रचार्य से जानना चाहा तो उनका कहना था कि प्रभात झा खुद अपने बेटे को टिकट दिलाने के कई प्रयास कर चुके है। सेवानिवृत प्राचार्य ने कहा कि मध्यप्रदेश बीजेपी को कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय, कैलाश सारंग के बेटे विश्वास सारंग, कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी, वीरेंद्र कुमार सकलेचा के बेटे ओम प्रकाश सकलेचा, सुन्दर लाल पटवा के भतीजे सुरेन्द्र पटवा, प्यारेलाल खण्डेलवाल के बेटे हेमंत खंडेलवाल, गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव, दिलीप सिंह भूरिया की बेटी निर्मला भूरिया जैसे हजारों उदाहरण हैं जहाँ भाजपा को वंशवाद क्यों नजर नहीं आता..?

वैसे भी यदि झाबुआ के विकास में बीजेपी के योगदान की बात करें तो झाबुआ में 2012 में स्वीकृत एक मात्र इंजीनियरिंग कॉलेज केवल इसलिए नहीं बन पाया क्योंकि शिवराज सरकार ने बजट आबंटन ही नहीं किया। अब सरकार बदलने के बाद कमलनाथ सरकार ने उल्लेखित इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए बजट आबंटित किया है जिसका लाभ झाबुआ के बच्चों को जरुर मिलेगा।

एक सच यह भी है की मध्यप्रदेश में 15 वर्षों तक शासन करने वाली बीजेपी जिसका झाबुआ में 10 वर्षों तक विधायक भी रहा है, आज यदि विकास को सवाल कांग्रेस से पूछ रही है तो इससे ज्यादा हास्यास्पद कुछ भी नहीं हो सकता।

छिंदवाडा में शराब बाँटने की बात करने वाले प्रभात झा को शायद नहीं मालूम की कमलनाथ जी शायद देश के इकलौते नेता हैं जिनके क्षेत्र में मतदान केवल विकास कार्यों के आधार पर होता आया है जिसे छिंदवाडा मॉडल के रूप में ख्याति भी प्राप्त है।

बहरहाल प्रभात झा को ये नहीं भूलना चाहिए की कांतिलाल भूरिया के बारे में की गई हर टिपण्णी यहाँ के लाखों आदिवासियों का अपमान और झाबुआ की जनता को मूर्ख समझने और बनाने का दुस्साहस है।