गुजरात का नर्मदा जिला जहाँ की लगभग 60 प्रतिशत आबादी आदिवासी जनजाति हैं, जहाँ की ज्यादातर महिलाएं खून की कमी जैसी बिमारी से ग्रसित रहती हैं, जहाँ महिला के गर्भवती होने और इस दौरान होने वाली समस्याओं के बीच हमेशा खून की उपलब्धता नहीं होती. ऐसी जगह पर सरकार एक अच्छा अस्पताल बनाने के बजाये दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति बना रही हैं.
यह कहानी हैं गुजरात के नर्मदा ज़िले की. पूरे नर्मदा ज़िले में आईसीयू की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में मरीज को वडोदरा, भरूच या दूसरे ज़िलों में भेजना पड़ता है. कई बार तो मरीजों की रस्ते में ही मृत्यु हो जाती हैं.
नर्मदा ज़िले में एक निजी अस्पताल चलाने वाले डॉ. शांतिकर वसावा के अनुसार सरकार मेरे अस्पताल से 30 किलोमीटर दूर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण पर बड़े जोरो शोरो से निर्माद कर रही हैं लेकिन यहाँ की जो आम समस्या है उस की उन्देखी कर रही हैं. जिस क्षेत्र में अस्पताल जैसी मुलभुत आवश्यकता नहीं पूरी हो रही हैं वहां पर विशालकाय प्रतिमा बनाने से क्या फायदा होगा.
डॉ. शांतिकर वसावा कहते हैं, ‘आदिवासी जंगल, खेती और बारिश के पानी पर निर्भर होते हैं लेकिन अब जंगल कम हो रहा है, बारिश सही से नहीं हो रही है. इस कारण बड़ी संख्या में उनका विस्थापन हो रहा है. यहां ‘सिकल सेल एनीमिया’ की समस्या बहुत ज़्यादा है. यह एक जेनेटिक रोग है. यह पिता से बच्चों में आता है. अभी बड़ी संख्या में बच्चे इसकी चपेट में हैं.’
वे कहते हैं, ‘ज़िले में सिकल सेल एनीमिया के अलग से किसी अस्पताल की कोई व्यवस्था नहीं है. इसके रोकथाम के लिए तमाम तरह का सरकारी अनुदान भी मिलता है, लेकिन वह कहां जाती है इसका हमें पता नहीं है. जब भी हमारे यहां कोई मरीज़ आता है तो हमें सिकल सेल एनीमिया के लिए ज़रूरी जांच करानी पड़ती है. सरकारी अनुदान से हुआ टेस्ट ज़्यादातर लोगों के पास नहीं होता है.’
Guj CM announced free medicines for the patients of Thalasemia & Hemophilia and pension for Sickle Cell Anemia patients for their livelihood pic.twitter.com/VdCVfdrlhl
— CMO Gujarat (@CMOGuj) June 4, 2017