झाबुआ उपचुनाव: बड़ी सभाओ के भरोसे नहीं है नेता, कर रहे है मजरे-टोलों में नुक्कड़ सभा

उपचुनाव में प्रचार के लिए अब 15 दिन बचे हैं। 5 दिन बीत चुके हैं। अब तक कोई बड़ी सभा या बड़े नेता का कार्यक्रम नहीं हुआ। इसकी संभावना भी कम है। एक-एक, दो-दो सभाएं दोनों दलों से हो सकती हैं।

दरअसल आदिवासी अंचल में सभाओं की बजाय लोगों के बीच पहुंचना ज्यादा कारगर होता है। इसीलिए सभी प्रमुख प्रत्याशी इस काम में लग गए हैं। ये लोग अपनी गाड़ियों से गांवों के मजरे-टोलों और फलियों में जाकर नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं। यहां तक कि दोनों दलों के बड़े नेता और मंत्री भी यही कर रहे हैं।

खास 3 प्रत्याशी, ये कर रहे : किसी के साथ मंत्री, कोई सांसद को लेकर मैदान में उतरा

कांतिलाल भूरिया, कांग्रेस

सुबह से अपनी गाड़ी में गांवों की तरफ जा रहे हैं। छोटे गांवों में 25-50 लोग एकत्रित कर उन्हें अपनी बात समझा रहे हैं। उनके साथ चुनिंदा कार्यकर्ता होते हैं। उनके अलावा दूसरे नेता दूसरे गांवों में जा रहे हैं। शुक्रवार को मंत्री बाला बच्चन भी गए। गुरुवार को दो दूसरे मंत्रियों ने भी नुक्कड़ सभाएं ली।

9 को कल्याणपुरा आ सकते हैं कमलनाथ

कांग्रेस ने एक बड़ी सभा की तैयारी शुरू कर दी है। संभावना जताई जा रही है कि 9 अक्टूबर को मुख्यमंत्री कमलनाथ कल्याणपुरा में सभा ले सकते हैं। कल्याणपुरा क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है। इसलिए यहां सभा रखी गई।

भानू भूरिया, भाजपा

पूरी टीम के साथ घूम रहे हैं। सांसद गुमानसिंह डामोर, जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा साथ हैं। राणापुर क्षेत्र पर खास जोर है। बाहर से आने वाले नेता झाबुआ में बैठकें कर रहे हैं। शुक्रवार को संगठन की ओर से सुहास भगत ने कार्यकर्ताओं की बैठक ली। भाजपा का जोर बूथ की मजबूती पर ज्यादा है।

कल्याण पर आज-कल में हाेगी कार्रवाई

भाजपा से बगावत कर मैदान में उतरे कल्याणसिंह डामोर पर संगठन ने अभी तक कार्रवाई नहीं की है। संभावना है शनिवार या रविवार तक उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया जाए। खबर ये भी है कि उन्हें इतना मौका इसलिए दिया जा रहा है कि वो अभी भी ढीले पड़ जाएं और पार्टी प्रत्याशी को समर्थन देकर मैदान से हट जाएं।

कल्याण डामोर व 2 निर्दलीय

कल्याण डामोर ने भाजपा से बगावत कर प्रचार शुरू कर दिया है। गांव-गांव में कार्यकर्ता तैयार कर रहे हैं। पिटोल और अंतरवेलिया क्षेत्र में गए। उनके अलावा नीलेश डामोर अभी अपने क्षेत्र में ही हैं। वो बेरोजगारी और गरीबी के मुद्दों को लेकर जा रहे हैं। रामेश्वर सिंगार की सक्रियता अभी नहीं दिखाई दे रही।