‘महाराज-शिवराज’ भूले अतिथि शिक्षकों को, दाने-दाने को मोहताज हो रहे कई अतिथि शिक्षक

भोपाल. अतिथि शिक्षकों के नियमितिकरण और उनके सम्मान की बात कहकर सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने वाले ज्योतिर्रादित्य सिंधिया अब इन्हें भूल गए हैं। इस समय कई ऐसे अतिथि शिक्षक हैं जिनके सामने आजीविका संकट खड़ा हो गया है। सिंधिया ने मांग की थी कि 68000 अतिथि शिक्षकों को नियमित कर दिया जाये। वाक्या था महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया तत्कालीन कमलनाथ सरकार के खिलाफ उनके अपने इरादों के खुलासे का अवसर उन्हें अतिथि शिक्षकों ने ही दिया लेकिन पॉवर में आते ही सिंधिया ने इन अतिथि शिक्षकों से दूरी बना ली है।

टीकमगढ़ जिले के एक कार्यक्रम में महाराजा गये थे तो उन्हें वहां अतिथि शिक्षकों ने अपने मांगों के साथ हौसला भी दे दिया कि वह कह दें कि यदि उनकी मांगे कमलनाथ सरकार ने नही मानी तो वे सड़क पर अतिथि शिक्षकों के साथ कमलनाथ के खिलाफ उतर जायेंगे, और उसके बाद क्या हुआ सब आपके सामने है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ महाराज ने बगावत का बिगुल फूंक दिया और अपनी महत्वाकांक्षा की बंदूक उन्होंने ​अतिथि शिक्षकों के कांधे पर रखकर चलाई और आज वे उन्हीं अतिथि शिक्षकों को भूल गए हैं। जिन्होंने महाराजा को सरकार बदलने के सारे शस्त्र सौंप दिये।

‘महाराजा’ भले ना स्वीकारे लेकिन सरकार बदलने में अतिथि शिक्षकों की भूमिका उन्हें याद जरूर करनी चाहिए और यह तब कोविड-19 के चलते कुछ अतिथि शिक्षकों के परिवार में दाल-रोटी और दवाई एक गंभीर समस्या का रूप धारण कर चुका है। अतिथि शिक्षकों का कहना है कि महाराजा सुनिये, कुछ करिये सरकार बदल चुके, लेकिन इनकी सूरत नहीं बदली, हालात बदसूरत इतने है कि अप्रैल के बाद से पगार तक नहीं मिला है। कभी कोई अतिथि शिक्षक की अप्रिय खबर आ जाये, उसके पहले यदि इन्हें नियमित करने के आपके वायदे पर सरकार फाइल में मंजूरी दे दे तो आत्म निर्भर होते मध्य प्रदेश की यह पहली सफलता होगी।

बता दें 18000 हाइस्कूल में 20000 मीडिल में तथा 30000 अतिथि शिक्षक प्रायमरी स्कूल में आपकी तरफ ही देख रहे हैं। इसके बाद तो ‘महाराज-शिवराज’ मिलकर सभी मुद्दों का हल ढूंढेंगे परन्तु आज आत्म निर्भर भारत की जो परिभाषा गढ़ी जा रही है वह यह है कि मध्य प्रदेश सरकार उपेक्षित है, बजट की किल्लतों का दौर है। संकट ऐसा है कैसे जिया जाये के काल से मध्य प्रदेश में 4000 छोटे, मध्यम बंद होते उद्योगों ने 1 करोड़ की बेरोजगारी संख्या में 40 लाख बेरोजगार बढ़ा दिया है। आत्म निर्भर भारत अभियान को लेकर उपेक्षा का दंश जनता नहीं समझ रही है इसके लिए शासकीय मशीनरी की बेहतर उपयोगिता के लिए भी सरकार को तैयार रहना चाहिए।