मप्र में सरकारी स्कूल की व्यवस्थाएं बदहाल

करीब 10 हजार बेटियों ने छोड़ा स्कूल

मध्यप्रदेश में बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ के दावे खोखले नजर आ रहे हैं। सरकारी दावे तो ऐसे जैसे सरकारी स्कूल की व्यवस्थाएं एक दम तंदुरुस्त कर दी गई हों। लेकिन हकीकत से परे हैं सरकारी स्कूल के दावे और इनकी व्यवस्थाएं। दिल्ली जैसा एजुकेशन मॉडल लागू करने के दावे महज चुनावी वादों जैसे नजर आते हैं। हकीकत में सरकारी स्कूलों में बेसिक फैसिलिटी तक नहीं है। जिसके चलते बच्चियां स्कूल छोड़ने को मजबूर हैं। लोकसभा में 22 जुलाई को दी गई जानकारी में मध्यप्रदेश में करीब 10630 लड़कियों ने स्कूल छोड़ दिया है। वजह बनी सरकारी स्कूलों की बदहाल व्यवस्थाएं। स्कूलों में साफ टॉयलेट और सेफ्टी लड़कियों के लिए बड़ी समस्या है। स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश के 98,663 प्राइमरी और मिडिल स्कूलों की रिपोर्ट जारी की है। जिसमे 2,762 गर्ल्स स्कूल में टॉयलेट यूज करने लायक नहीं हैं। और लड़कियों को बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ती है। हालांकि स्कूल छोड़ने का एक नहीं कई कारण है। स्कूलों में बेटियों का सुरक्षा बड़ा मुद्दा है। असामाजिक तत्वाें के चलते डर का माहौल बेटियों के लिए बड़ा कारण बना हुआ है। इसीलिए कहा जाता है सुरक्षित रहेंगी बेटियां तो पढेंगी बेटियां। वहीं पीरियड्स के दौरान लड़कियों को सैनेटरी पैड्स नहीं मिल पाते। आपको बता दें सरकारी स्कूलों में सामान सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े किये गए हैं। चौकीदार की व्यवस्था न होने के चलते रात में चोर और असामाजिक तत्व सामान की चोरी कर ले जाते हैं। वहीं सीएम राइज स्कूलों में आठ-आठ चौकीदार देने का प्रावधान किया जा रहा है। मध्यप्रदेश के 20 हजार सरकारी स्कूलों में हैंड वाॅशिंग यूनिट नहीं बने हैं। 34 हजार में हैंड वाॅशिंग यूनिट की व्यवस्था ही नहीं है। 1500 में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। डेढ़ हजार स्कूलों में क्लासरूम नहीं हैं, तो 22 हजार में क्लासरूम कम जर्जर और 19 हजार में ज्यादा मरम्मत की जरूरत है। 36 हजार स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नहीं है। करीब 1498 में क्लासरूम नहीं ही नहीं है। क्लास रूम हैं भी तो 22,361 में क्षतिग्रस्त क्लासरूम हैं। 94,238 में दिव्यांग लड़कियों के लिए टॉयलेट नहीं हैं। 95,102 में विज्ञान प्रयोगशाला नहीं है। ऐसी बदहाल मध्यप्रदेश की स्कूल व्यवस्था के बीच बेटियों का स्कूल छोड़ना सरकार की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं।