झाबुआ उपचुनाव से दूर क्यों हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया ?

पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव और इस साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए धुआंधार प्रचार करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया की इन दिनों झाबुआ उपचुनाव से दूरी पर सवाल खड़े होने लगे हैं. कांग्रेस नेताओं के पास तो इसका जवाब है नहीं लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यह कहकर हमला किया है कि दिग्विजय-कमलनाथ की जोड़ी ज्योतिरादित्य सिंधिया को हाशिये पर धकेलने में लगी है.

झाबुआ में चुनाव प्रचार कर चुके हैं कमलनाथ
21 अक्टूबर को मध्य प्रदेश की झाबुआ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं. ऐसे में सत्ताधारी कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत चुनाव प्रचार में झोंक दी है. सरकार के कई कैबिनेट मंत्री समेत मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं जैसे दिग्विजय सिंह और सुरेश पचौरी यहां कांग्रेस के उम्मीदवार कांतिलाल भूरिया के लिए प्रचार कर रहे हैं. सीएम कमलनाथ झाबुआ के दो चरण के प्रचार का हिस्सा बन चुके हैं और समय निकालकर महाराष्ट्र में भी आधा दर्जन चुनावी सभाओं को संबोधित कर चुके हैं.

स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल है सिंधिया

इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी झाबुआ में कांतिलाल के लिए सक्रिय हैं, लेकिन इन सबके बीच मध्य प्रदेश में कांग्रेस का सबसे ग्लैमरस और युवाओं के बीच लोकप्रिय चेहरा ज्योतिरादित्य सिंधिया गायब हैं. आपको बता दें कि कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची में ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी नाम है लेकिन अब तक वो झाबुआ में उपचुनाव के लिए प्रचार करने नहीं पहुंचे हैं.

जहां जरूरत होगी वहां जाएंगे सिंधिया

वहीं कांग्रेस नेताओं के पास इस बात का जवाब नहीं है कि सिंधिया ने झाबुआ में प्रचार से दूरी क्यों बनाई है. कमलनाथ के मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि सिंधिया जी की जहां ज़रूरत होगी वहां कमलनाथ उन्हें बुलाएंगे तो वहीं दिग्विजय सिंह बोल रहे हैं कि उन्हें आमंत्रण ज़रूर भेजा गया होगा. सिंधिया जैसे कद्दावर नेता का यूं चुनाव प्रचार से दूर रहना इसलिए भी सवाल खड़े कर रहा है क्योंकि…..

  • विधानसभा चुनाव में सिंधिया को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया था.
  • सिंधिया कांग्रेस के स्टार प्रचारक रहे हैं.
  • विधानसभा चुनाव में सिंधिया ने कुल 158 चुनावी सभाएं कीं.
  • उस वक्त सिंधिया की सभाओं में खासी भीड़ उन्हें सुनने आती थी.

सिंधिया ने झाबुआ में अभी तक एक भी सभा नहीं की है. वहीं बीजेपी ने इसे कमलनाथ-दिग्विजय की जोड़ी की साजिश बताया है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो कहा है कि खुद कांग्रेस अब सिंधिया को नहीं पूछ रही है. कांग्रेस में इतने गुट हैं कि हर गुट एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगा है. अब सिंधिया को चुनाव प्रचार में बुलाया या नहीं बुलाया ये तो कांग्रेस जाने लेकिन पूरी कांग्रेस पार्टी ऐसी ही है.

वहीं प्रदेश उपाध्यक्ष रामेश्वर शर्मा ने कहा है कि कमलनाथ-दिग्विजय की जुगलबंदी ने सिंधिया की ये हालत कर दी है. ये सिंधिया परिवार की बेइज्जती का सबसे बड़ा समय है क्योंकि इससे पहले स्वर्गीय माधवराव जी ने तो निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की और खुद के परिवार की इज्जत रखी लेकिन यहां तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को किनारे ही कर दिया गया है.