बीजेपी को छोड़कर सबका मानना है कि नोटबंदी एक बहुत बड़ी आपदा थी. लेकिन अब इस बात के समर्थन में कुछ और आंकड़े आ गए हैं. 21 राज्यों और 32 संगठनों द्वारा किये गए एक सर्वे से पता चला है कि 80% लोग इस कदम के खिलाफ थे और बाकी 20% या तो समर्थन में थे या भ्रमित थे.
जनवरी के पहले सप्ताह में शुरू हुए इस सर्वे से पता चला है कि 55% लोग प्रधानमंत्री के उस बयान से सहमत नहीं हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि नोटबंदी ने संपूर्ण कालेधन का खात्मा कर दिया है.
सर्वे के दौरान पता चला कि नोटबंदी से छोटे व्यापारी सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे. पॉलिटिकल एक्टिविस्ट जॉन दयाल ने कहा, ‘’सब्जी बेचने वाले, रिक्शा चालक जैसे छोटे उद्यमी अपना धंधा करने के लिए नकद के दैनिक चक्र पर निर्भर होते हैं. नोटबंदी के बाद वे अपना धंधा नहीं चला सकते थे और इसलिए उनमें से ज्यादातर दैनिक मजदूर बन गए.
निस्संदेह इस कदम के बाद 50 प्रतिशत लोगों ने सरकार में अपना भरोसा खो दिया है और अन्य 47 प्रतिशत लोग अपने बैंको को शक की नजरों से देख रहे हैं क्योंकि सर्वे में शामिल 65 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नोटबंदी के दौरान बैंकों की लाइन में उन्होंने किसी भी नेता या अमीर आदमी को खड़े नहीं देखा. लोगों का मानना था कि नोटबंदी के दौरान कतार में इंतजार किए बिना अमीरों को पैसा दिया गया था.
नोटबंदी के दौरान एटीएम और बैंकों के सामने लंबी-लंबी कतारों की पुष्टि करते हुए सर्वे में शामिल लगभग 30 फीसदी लोगों ने कहा कि उन लोगों को 4 से 8 घंटे तक कतारों में खड़े रहना पड़ा था. जबकि, इसके अतिरिक्त 20 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें 8 आठ घंटे से भी ज्यादा कतारों में खड़े रहना पड़ता था.
60% नौकरीपेशा लोगों ने कहा कि नोटबंदी से कॉर्पोरेट क्षेत्र को फायदा हुआ है और 47.7% व्यापारियों का भी यही मानना था. अकूत नकदी रखने वाले लोगों ने अपने पुराने नोटों को ठिकाने लगाने के लिए कई आसान तरीके अपनाए. इनमें जमीन और सोने में निवेश, मंदिरों में दान, गरीबों के लिए बने जन धन खातों में नकद जमा जैसे तरीके शामिल थे. 2,000 रुपये के नोटों के चलन में आने से काले धन का भंडारण और भी आसान हो जाएगा.
एटीएम को नोटबंदी के बाद नए नोटों के अनुसार तैयार करने में 10,000 रुपये प्रति एटीएम का अनुमानित खर्च हुआ और पूरे देश में इसपर 2 अरब रुपये खर्च हुए. अगर हम इसमें मजदूरी और परिचालन का खर्च भी जोड़ें तो नोटबंदी के 50 दिनों के दौरान बैंकों द्वारा कुल 351.4 अरब रुपये का खर्च किया गया.