खराब हो गई 50 हजार एलइडी लाइट, भारी पड़ रही वोल्टेज की गड़बड़ी

भोपाल. स्मार्ट सिटी के चक्कर में नगर निगम के पास खूब पैसा आ रहा है। हर विभाग में नए काम हो रहे हैं। अत्याधुनिक उपकरण लग रहे हैं। नई तकनीक पर करोड़ों खर्च हो रहे हैं। लेकिन, इनकी खराबी पर इन्हें ठीक करने वाला कोई नहीं है। क्योंकि निगम के पास तकनीशियन पुराने दौर के हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण शहर में बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए पुराने स्ट्रीट लाइट सिस्टम पर नई एलइडी लाइट्स लगा दी गईं। इनमें से दो साल के भीतर 50 हजार से अधिक लाइट खराब हो गयीं। अब इन्हें ठीक करने वाला कोई नहीं है। जानकारी के अनुसार वोल्टेज की गड़बड़ी के कारण ये खराबी आ रही है.

यही हाल भवन निर्माण की मॉनीटरिंग का भी है। शहर में 45 से 50 मीटर ऊंचे भवन बन रहे हैं। ग्रीन बिल्डिंग कांसेप्ट पर काम हो रहे हैं, लेकिन इनकी निगरानी रखने वाले पुराने जमाने के सिविल इंजीनियर ही हैं। नई तकनीक और नवाचारों के लिए कर्मचारियों-इंजीनियर्स को कभी प्रशिक्षित ही नहीं किया गया। इसकी वजह से बड़ा नुकसान हो रहा है।

इलेक्ट्रिकल का काम मैकेनिकल इंजीनियर के हवाले किया
20 हजार स्ट्रीट लाइट को एलइडी से बदला गया। इसे सेंट्रल कंट्रोल एंड कमांड सेंटर से जोड़ा गया। 35 प्रतिशत एनर्जी सेविंग का दावा था। 30 ल्यूमिनियस वाली लाइट हैं। दावा किया गया कि स्मार्ट ऑपरेशन के जरिए रियल टाइम मॉनीटरिंग, रिमोट ऑपरेशन, फॉल्ट-खराबी पर एसएमएस से सूचना मिलेगी। बिजली चोरी भी पकड़ ली जाएगी। 90 से 135 वॉट की एलइडी लगाकर 1.3 करोड़ यूनिट सालाना बचत का दावा भी किया गया।

स्थिति ये है कि हाल ही में 5500 एलइडी लाइट खराब हो गयींं। वोल्टेज गड़बड़ होता है तो फिर ये खराब हो जाती हैं। दो साल में 50 हजार एलईडी खराब हो चुकी है। इस काम की निगरानी का जिम्मा मैकेनिकल इंजीनियर आशीष श्रीवास्तव के सुपुर्द है।