भाजपा के IT प्रमुख अमित मालवीय को अपने किए कि वजह से इन दिनों जो सोशल मीडिया पर उनके विरोधियों द्वारा सुनने के लिए मिल रहा है उसमें कुछ भी हैरान करने वाला नहीं है. उनके राजनीतिक विरोधियों ने उन्हें निशाने पर ले रखा है. यह वह कीमत है जो इन दिनों वह शासन करने वाली पार्टी की मीडिया इकाई का नेतृत्व करने के लिए चुका रहे है.
लेकिन मालवीय की परेशानी और शर्मिन्दगी के अन्य कारण भी है और उससे भी अधिक उनकी पार्टी बीजेपी के लिए. कुछ लोगों के अनुसार, अगर उन्हें पूर्व में देखें तो वह एक भंयकर ट्रोल के रूप में नजर आते है. जो आम ट्विटर इस्तेमाल करने वालों और भाजपा के राजनीतिक विरोधियों दोनों के खिलाफ अभ्रद भाषा का इस्तेमाल करते हुए दिखते थे, जिन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी को अंतहीन शर्मिंदगी दिलाने में व्यापक योगदान दिया.
इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि जब भगवा पार्टी ने इस सप्ताह की शुरूआत में ‘चायवाला’ ट्वीट के लिए कांग्रेस पार्टी पर हमला बोलने का फैसला किया जब सोशल मीडिया यूजर्स को इस चतुर रणनीति को समझने में देर नहीं लगी कि बीजेपी को शर्मिंदा करने के लिए अतीत में खुद कई नेताओं ने शर्मनाक ट्वीट किए थे.
लेकिन चायवाला की बहस के संदर्भ में सोशल मीडिया बीजेपी की विपक्ष को नसीहतों और आलोचना का क्या प्रभाव पड़ता है क्योंकि मालवीय द्वारा पूर्व में पोस्ट किए गए गंदे ट्वीट्स को देखने से पता चलता है.
उनके हालिया ट्वीट में से एक ने भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को निशाना बनाया था. इसमें उन्होंने अपनी सोच का जाहिर किया कि नेहरू अपनी प्रेमिका को गले लगा रहे है जबकि वह महिला उनकी बहन थी. तथ्यों की जांच करने वाली वेबसाइट आल्ट न्यूज ने मालवीय की हरकत को उजागर करने वाली एक विस्तृत रिपोर्टप्रकाशित की, जिसके बाद उसने अपने अमर्यादित ट्वीट को हटाने का प्रयास किया.
यहां पर पूर्व में किए गए मालवीय के 10 अभ्रद भाषा का प्रयोग करने वाले गंदे ट्वीट दिखा रहे है, उन्हें पढ़ें और आश्चर्य की बात है कि सत्तारूढ़ दल ने किस हद तक सार्वजनिक बहस को ले लिया है जबकि खुद उनके नुमाइन्दें खुद ऐसी भाषा प्रयोग करने में सबसे आगे नजर आते है.
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