मतदाता सूची में हो रही द्वेषपूर्ण कार्यवाही पर तत्काल रोक लगायी जाये: डॉ. महेन्द्र सिंह चौहान

भोपाल। मप्र कांग्रेस कमेटी के महामंत्री वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. महेन्द्र सिंह चौहान ने आज मप्र राज्य निर्वाचन आयोग को एक ज्ञापन सौंपकर राजधानी भोपाल की नरेला विधानसभा क्षेत्र क्र. 151 में मतदाता सूचियों में अवैधानिक तरीके से नाम जोड़े जाने और धार्मिक एवं जातिगत आधार पर बीएलओ को चुनाव ड्यूटी से पृथक किये जाने की शिकायत कर मतदाता सूची में हो रही द्वेषपूर्ण कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाये जाने की मांग की है।


श्री चौहान ने कहा कि विधानसभा क्षेत्र क्र. 151 नरेला विधानसभा जो कि भोपाल जिले के अन्तर्गत आता है, में जिला निर्वाचन अधिकारी (कलेक्टर भोपाल) एवं अनुविभागीय अधिकारी द्वारा म.प्र. शासन के मंत्री एवं नरेला विधानसभा के विधायक श्री विश्वास सारंग जी के दबाव में भारत निर्वाचन आयोग के पत्र क्रमांक 23/2022 ई.आर. एस. (बी. ओ.एल. 11) दिनांक 25.07.2022 के आदेश अनुसार बूथ लेवल अधिकारी द्वारा निर्वाचक नामावली को अघतन प्रक्रिया के तहत मतदाताओं के वोटर कार्ड से आधार को लिंक करने वा नंबर संग्रहण किये जाने हेतु निर्देश जारी किये गये थे। भारत निर्वाचन आयोग के आदेश के परिपालन में कार्यालय कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी जिला भोपाल द्वारा उक्त आदेश के पालनार्थ कार्यवाही प्रारंभ की गई, किन्तु क्षेत्रीय विधायक एवं मध्यप्रदेश शासन के मंत्री जो कि 151 नरेला विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते है के दबाव में जिला निर्वाचन अधिकारी (जिला कलेक्टर) द्वारा लगभग एक ही समाज / सम्प्रदाय (अल्पसंख्यक) के बीएलओ जो कि उक्त प्रक्रिया में पूर्ण निष्ठा व निष्पक्षता पूर्वक कार्य कर रहे थे को कार्य से पृथक किया गया और उन्हें कार्य से हटाने का कोई समुचित कारण भी नहीं बताया गया।


श्री चौहान ने कहा कि जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा जिस प्रकार पक्षपात पूर्ण कार्यवाही की जा रही है उससे चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लग रहे है। नरेला विधानसभा के लगभग 80 बीएलओ को उनके कार्य से पृथक किया जाना न्याय सिद्धांतों एवं संवैधानिक प्रक्रिया के विरुद्ध है, जबकि भोपाल जिले की अन्य किसी भी विधानसभा जिसमें बैरसिया, गोविंदपुरा, हुजूर, दक्षिण-पश्चित, मध्य एवं उत्तर विधानसभा शामिल है, की बीएलओ की सूची का अवलोकन किया जा सकता है जहां पर ऐसी कोई विद्वेषपूर्वक कार्यवाही की जाना दर्शित नहीं होता है। यही नहीं इस विधानसभा के मतदाताओं के नाम आधार कार्ड से लिंक किये जाने के संबंध में भी गंभीर अनियमिताएँ की जा रही है, जिसमें कुछ विशेष जाति वर्ग के मतदाताओं का नाम मतदाता सूची में जोड़े जाने एवं आधार से लिंक किये जाने में मतदाताओं को अत्याधिक परेशान किया जा रहा है।

श्री चौहान ने कहा कि नरेला विधानसभा के लगभग 70 मतदान केन्द्रों पर बीएलओ नहीं हैं तथा बीजेपी कार्यकर्ता रिक्त मतदान केन्द्रों के फर्जी मतदाताओं के फार्म एकत्रित करके कर्मचारी सुशील पाण्डे को लाकर दे रहे हैं और सुशील पाण्डे आफिस के ऑपरेटरों से फार्म भरवाकर जमा कर रहे हैं, जबकि सुशील पाण्डे मूलतः जल संसाधन विभाग में कार्यरत है, जिन्हें हाल ही में सुपरवाईजर बनाया गया है। एक अन्य व्यक्ति राजेन्द्र जो ऑफिस में प्राईवेट ऑपरेटर के रूप में कार्य कर है, ईआरओ पासवर्ड भी उन्हीं के पास है, जिसके द्वारा वह नरेला विधानसभा के नवीन या संशोधित फार्माे को तैयार कर फर्जी रूप से मतदाता सूची तैयार कर रहे है। उक्त दोनों व्यक्ति क्षेत्रीय विधायक एवं म.प्र. शासन के मंत्री श्री विश्वास सारंग जी के दबाव में विद्वेषपूर्वक कार्यवाही कर है। श्री चौहान ने नरेला विधानसभा से हटाये गये बीएलओ की सूची चुनाव आयोग को सौंपी। 

श्री चौहान ने सौंपे ज्ञापन में कहा कि भारत निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देश के अनुसार और आपकी कर्तव्य निष्ठा पर किसी भी प्रकार का प्रश्न इस हेतु निर्वाचक नागावली में मतदाताओं के आधार कार्ड को लिंक किये जाने और किसी जाति वर्ग विशेष को निशाना बनाकर उन्हें अपने कर्तव्य निर्वहन से पृथक किये जाने के संबंध में उचित जांच की जाना एवं अन्य विधानसभा क्षेत्रों की तुलना में वोटर आई.डी. कार्ड आधार कार्ड से लिंक किये जाने के प्रतिशत का अवलोकन किया जाना नितांत आवश्यक है, जिससे की निर्वाचन आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर लोगों का विश्वास बना रहे। श्री चौहान ने चुनाव आयोग को सौंपे ज्ञापन के माध्यम से आग्रह किया है कि 151 नरेला विधानसभा के कार्य से पृथक किये गये बीएलओ, आधार कार्ड से लिंक किये जा रहे मतदाताओं के प्रतिशत एवं श्री सुशील पाण्डे एवं श्री राजेन्द्र द्वारा किये जा रहे अवैधानिक कार्याे एवं जिला निर्वाचन अधिकारी भोपाल, अनुविभागीय अधिकारी भोपाल द्वारा की जा रही द्वेषपूर्ण कार्यवाही की उचित जांच कर, वैधानिक कार्यवाही किये जाने की मांग की है, जिससे कि चुनाव आयोग पर प्रश्न चिन्ह ना लगे और उक्त संवैधानिक संस्था पर आम नागरिकों का विश्वास बना रहे।