बहुचर्चित ई-टेंडर घोटाले के छह आरोपित बरी, ईओडब्ल्यू पेश नहीं कर सकी सबूत

भोपाल। भोपाल की जिला अदालत ने मध्यप्रदेश के बहुचर्चित ई-टेंडरिंग घोटाले के छह आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया है। ईओडब्ल्यू ने इन सभी पर नामजद केस दर्ज किया था। बुधवार को विशेष न्यायाधीश संदीप कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने अपना फैसला सुनाया। सरकारी वकील आशीष त्यागी ने ईओडब्ल्यू की तरफ से अदालत में पक्ष रखा।

अदालत ने माना कि ई-टेंडर के लिए डेमो टेंडर बनाया गया था, लेकिन यह इन्हीं लोगों ने बनाया था, इसे अभियोजन पक्ष साबित नहीं कर सका। ऐसे में संदेह के आधार पर इन्हें दोषी नहीं माना जा सकता। अदालत ने ई-टेंडरिंग घोटाले मामले में जिन आरोपितों को बरी किया, उनमें मध्यप्रदेश इलेक्ट्रानिक विकास निगम के तत्कालीन ओएसडी नंद किशोर ब्रह्मे, ओस्मो आईटी सॉल्यूशन के डायरेक्टर वरुण चतुर्वेदी, विनय चौधरी, सुमित गोवलकर, एंटारेस कंपनी के डायरेक्टर मनोहर एमएन और भोपाल के कारोबारी मनीष खरे शामिल हैं। यह सभी आरोपित बुधवार को जिला अदालत में पेश हुए थे। इनके खिलाफ ईओडब्ल्यू ने चालान पेश किया था। ब्रह्मे की तरफ से वकील प्रशांत हरने ने बताया कि 33 गवाहों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने सभी 6 आरोपितों को बरी कर दिया। कोर्ट ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं कर सका।तीन हजार करोड़ के घोटाले का दावा

मप्र का ई-टेंडरिंग घोटाला अप्रैल 2018 में सामने आया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश पर इसकी जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी गई थी। इस बीच 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बन गई। कांग्रेस सरकार में ई-टेंडर घोटाले की जांच में तेजी आई और 10 अप्रैल 2019 को सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। घोटाला तब उजागर हुआ, जब एक कंपनी के कर्ताधर्ता द्वारा जल निगम की तीन निविदाओं को खोलते समय कम्प्यूटर ने मैसेज डिस्प्ले किया। इससे पता चला कि निविदाओं में टेम्परिंग की जा रही है। प्रारंभिक जांच में पाया गया था कि जीवीपीआर इंजीनियर्स और अन्य कंपनियों ने जल निगम के तीन टेंडरों में बोली की कीमत में 1,769 करोड़ का बदलाव कर दिया था। ई-टेंडरिंग को लेकर ईओडब्ल्यू ने कई कंपनियों के खिलाफ केस दर्ज किया था। बुधवार को फैसला आया, जिसमें छह आरोपितों को बरी कर दिया गया।