अमृत सरोवर के कार्य में फर्जीवाड़ा, गलत हाजिरी भरकर भ्रष्टाचार

वास्तविक श्रमिक आर्थिक तंगी से बेहाल, रोजगार सहायक के संबंधी हो रहे मालामाल

कटनी/स्लीमनाबाद-(ईएमएस)। मनरेगा में काम करने वालों की अभी भी स्थिति जस का तस बनीं हुई है उसकी मुख्य वजह जो श्रमिक मनरेगा में वास्तविक रूप से काम कर रहे हैं उन श्रमिकों को दो दो सप्ताह भुगतान नहीं हो रहा है।बल्कि उन लोगों को भुगतान किया जा रहा है जिन लोगों का इस काम से कोई सरोकार नहीं है। उनकी फर्जी हाजिरी भर कर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
ठीक ऐसा ही मामला जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत सुपेली के आश्रित ग्राम जमुनिया में सामने आया है जहाँ मनरेगा के माध्यम से करीब साढ़े चौदह लाख रुपये की लागत से अमृत सरोवर का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।यहां पर श्रमिकों को पिछले करीब दो दो सप्ताह से भुगतान नहीं हुआ है जिससे आर्थिक तंगी से बेहाल है वहीं रोजगार सहायक के सगे सम्बन्धी है फर्जी हाजिरी से मालामाल हो रहें हैं।जबकि गरीब मजदूरों द्वारा लगातार काम किया जा रहा है। वहीं जो लोग रोजगार सहायक के सगे सम्बन्धी हैं और जो कभी मनरेगा में काम तक नहीं करते उनके नाम मस्टर रोल में दर्ज कर दिए जाते हैं। उन्हें समय पर भुगतान किया जा रहा है।अमृत सरोवर में काम करने वाले मजदूरों पच्चो बाई, संतोष, राजेश, श्याम बाई,लक्ष्मी बाई, बुद्धु एवं सुमंत्री बाई ने बताया कि दो दो सप्ताह तक काम करने के बाद समय पर पैसा नहीं मिल पा रहा है। जब मजदूरी के पैसों का पता लगाने बैंक जाते हैं तो कहा जाता है कि तुम लोगों का पैसा नहीं आया है। ऐसे में ये गरीब लोग आर्थिक तंगी से परेशान हो रहे हैं। जबकि यह भी बताया जाता है कि जो लोग एक भी दिन मजदूरी नहीं करने आते है उन लोगों को समय पर मजदूरी मिल जाती हैं।

-मौके पर महज डेढ़ दर्जन से कम मजदूर कार्यरत-
अमृत सरोवर में आधा सैकड़ा से अधिक मजदूरों को मस्टर रोल में दर्ज काम करते दर्शाया गया है। जिनकी हाजिरी 12 अप्रैल से निरंतर भरी जा रही है। जबकि जमुनिया में निर्माणाधीन अमृत सरोवर के कार्य में महज डेढ दर्जन से भी कम मजदूरों की संख्या मौके पर काम कर रहे हैं।

-मजदूर जाब कार्ड से अन्जान-
अमृत सरोवर में काम करने वाले मजदूर जाब कार्ड से अन्जान हैं। उन्हें तो केवल काम से मतलब है, जाब कार्ड बनने के बाद भी मजदूरों को पता नहीं है कि उनके खाते में कौन सा पैसा कब और कैसे आता है और कैसे निकल जाता है। ये तो केवल सचिव तथा रोजगार सहायक को पता रहता है और इन्हीं की मिलीभगत से राशि निकाल ली जाती है।

-रोजगार सहायक के भाई भी कर रहे मजदूरी-
मनरेगा के मस्टर रोल में दो लोगों के आवास के कार्य में मजदूरी दर्शाई गई है और जो दो लोग है उनमें म एक अजय और दूसरा शशि दोनों ही रोजगार सहायक के भाई बताएँ जा रहे हैं। जिनका भुगतान समय समय पर हो रहा है।जबकि लोगों का कहना है कि दोनों के आवास बन कर तैयार हो गए हैं। यहाँ गौरतलब है कि मनरेगा में घोटालेबाजी की जड़े इतनी मजबूत हो गई है कि किसी भी ग्रामीण में इतना साहस नहीं है कि इसका विरोध कर सके। मनरेगा लोगों को रोजगार से जोडने की योजना है क्योंकि लोगों के लिए रोजगार से जोडना है अलबत्ता पंचायत में तरह तरह के कार्य किए जाते हैं परंतु लोगों ने रोजगार मुहैया कराने वाली योजना को अपने तरीके से ढाल लिया है।