बिना कौशल के वर्तमान में बेहतर भविष्य की कल्पना नहीं की जा सकती। इसी ध्येय को ध्यान में रखते हुए झाबुआ जिले के युवाओं को बेहतर भविष्य प्रदान करने की दिशा में यूनिसेफ एवं डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स संस्था के साझा प्रयासों से कौशल से आजीविका की अवधारणा पर केंद्रित एक रचनात्मक पहल की गई। जिसमें युवाओं को मार्गदर्शन, दिशा-निर्देश एवं कौशल उन्नयन कर उनकी आजीविका को नए आयाम देने व आजीविका के नए अवसर सृजित करने का प्रयास किया जा रहा है।
कौशल से आजीविका परियोजना के तहत यूनिसेफ के सहयोग से डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स संस्था द्वारा 350 युवाओं एवं 75 स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार के नए अवसरों से जोड़ने में भूमिका निभाई। परियोजना की शुरुआत में जिले के 6 विकासखंडों के 6000 किशोर बालिका बालकों, जिसमें माध्यमिक स्कूल, उच्चतर माध्यमिक स्कूल, कॉलेज के युवक और स्कूल ड्रॉपआउट बच्चों की महत्वाकांक्षा रुचि कौशल को जानने का प्रयास किया। बाजार की मांग का अवलोकन कर युवाओं को ब्यूटी पार्लर 121, सिलाई कार्य 140, टैली 44 एवं मोबाइल रिपेयर में 20 बच्चों को प्रशिक्षित किया गया और संस्था द्वारा 138 किशोर युवक और युवतियों को विभिन्न स्थानों पर रोजगार के नए अवसर प्रदान किए गए। 67 बच्चों ने स्वरोजगार स्थापित कर अपने आप को सक्षम बनाने की दिशा में पहल की।
इस अवसर पर माइकल जुमा, यूनिसेफ मध्य प्रदेश राज्य प्रमुख, संजय सिंह, कम्यूनिकेशन विशेषज्ञ यूनिसेफ, डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स नई दिल्ली से संदीप खानवलकर, कार्यक्रम निदेशक उपस्थित थे। संचालन मैनेजर आकृति उत्तम ने किया। संस्था के खुर्शीद आलम और चैतन्य, दिल्ली से आई अनिशा एवं मनस्वी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मेघनगर. कार्यक्रम में प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र बांटे गए।